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Monday, February 23, 2015

स्‍वाइन फलू से बचाव व इलाज, देश में फैली इस भयानक बीमारी से छुटकारा पाने के कुछ आसान असर कारक उपाय।


स्‍वाइन फलू से बचाव व इलाज


स्‍वाइन फलू टाइप के इन्‍फलुएंजा वायरस से होती है। इस वायरस को H-1 N-1 के नाम से जाना जाता है। इस वायरस से होने वाला स्‍वाइन फलू, साधारण मौसमी जुकाम, खांसी, बुखार जैसा ही होता है। इसलिए यह पहचानना मुश्किल है, कि रोगी को स्‍वाइन फलू हुआ है अथवा साधारण खांसी, जुकाम और बुखार। पर कहते हैं न, सावधानी ही बचाव है।
इसलिए साधारण खांसी, जुकाम, बुखार व गले में खराश हो, तो उसे अनदेखा न करें। यह स्‍वाइन फलू भी हो सकता है।
स्‍वाइन फलू का वायरस पीडि़त व्‍यक्ति के छींकने, खांसने, हाथ मिलाने, दरवाजों को छूने, की-बोर्ड माउस, व रिमोट इत्‍यादि को इस्‍तेमाल करने से फैल सकता है। इसलिए संक्रमित व्‍यक्ति से दूर रहने और उसके द्धारा प्रयोग की गई चीजों से दूर रहने में ही भलाई है।


स्‍वाइन फलू के लक्षण


१ * नाक लगातार बहना, छींक आना व नाक का जाम हो जाना।

२ * मसल्‍स में दर्द या अकड़न महसूस करना।

३ * सिरदर्द।

४ * गले में खराश होना, गला लाल होना।

५ * बुखार व दवा के इस्‍तेमाल के बावजूद बुखार कम होने के बजाए, बढ़ जाना।

६ * नींद रहना और थकान ज्‍यादा महसूस करना।

स्‍वाइन फलू का वायरस कैसे खत्‍म होता है?


यह वायरस प्‍लास्टिक व स्‍टील में २४ से ४८ घंटे तक जीवित रहता है। कपड़ों और कागज में ८ से १२ घंटे तक जीवित रहता है। टिश्‍यू पेपर में १५ मिनट तक तथा हाथों में ३० मिनट तक जीवित रहता है।
इस वायरस को खत्‍म करने के लिए आप डिटर्जेंट, ब्‍लीच, एल्‍कोहल तथा साबुन का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। यदि रोगी में स्‍वाइन फलू के लक्षण दिखने शुरू हो गए हैं, तो वायरस फैलने का खतरा बढ़ जाता है।


आयुर्वेद में स्‍वाइन का उपचार मौजूद है।


महत्‍वपूर्णं उपचार

आप थोड़ा कपूर, छोटी इलायची, पुदीने की सूखीं पत्तियां व हल्‍दी का चूर्णं मिलाकर एक पोटली बना लें। इसके बाद दिन भर बार बार इस पोटली को सूंघने से स्‍वाइन फलू जैसी भयानक बीमारी से बचा जा सकता है। (यदि स्‍वाइन फलू हो ही गया है, तो अंग्रेजी इलाज भी कराएं, क्‍योंकि यह जानलेवा बीमारी है।

अन्‍य उपचार


१ * गिलोय सत्‍व २ रत्‍ती पौन ग्लिास पानी के साथ लें।

२ * ५ – ६ तुलसी के पत्‍ते और काली मिर्च के २ – ३ दाने पीसकर चाय में डाल कर दिन तीन चार बार पीएं। आराम मिलेगा साथ ही बचाव भी संभव होगा।

३ * चार पांच तुलसी के पत्‍ते, ५ ग्राम अदरक, एक चुटकी काली मिर्च और इतनी ही हल्‍दी का चूर्णं एक कप पानी या चाय में उबालकर दिन में दो तीन बार पीएं।

४ * आधा चम्‍मच हल्‍दी एक ग्‍लास दूध में उबालकर पीएं।

५ * आधा चम्‍मच हल्‍दी गरम पानी अथवा शहद में मिलाकर भी ली जा सकती है।

६ * गिलोय, कालमेध, भुईं आंवला, चिरायता, वासा, सरपुंखा इत्‍यादि जड़ी बूटियां भी बहुत लाभदायक हैं।

७ * आधा चम्‍मच आंवला पाउडर को आधा कप पानी में मिलाकर दिन में दो तीन बार पीने से बहुत लाभ होता है।

८ * जरांकुश (आज्ञाघास) व तुलसी के पत्‍ते उबालकर पीने से फाएदा होगा।

९ * दालचीनी का चूर्णं शहद के साथ या दालचीनी की चाय पीना भी लाभदायक होता है।


तो यह तो थे स्‍वाइन फलू के घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार। साथ ही मैं फिर से कहना चाहूंगी कि इस संबंध में वैध, हकीम व डाक्‍टर की सलाह जरूर लें। साथ ही अंग्रेजी इलाज कराना बेहतर है। मैंने जो आयुर्वेदिक उपचार बताए हैं, उन्‍हें आप प्राथमिक चिकित्‍सा के तौर पर प्रयोग कर सकते हैं। इस बीमारी का इलाज हौम्‍योपैथी में भी मौजूद है। इसके लिए आप हौम्‍योपैथिक डॉक्‍टर से मिल सकते हैं। साथ बचाव जितना कर सकें जरूर करें।
आप थ्री लेयर सर्जिकल मास्‍क को इस्‍तेमाल कर सकते हैं। यह मास्‍क चार घंटों तक तथा N-95 मास्‍क आठ घंटों तक सुरक्षा करता है। सिर्फ ये दो ही मास्‍क ऐसे हैं, जो स्‍वाइन फलू को वायरस को रोकने में सक्षम हैं। इसलिए सस्‍ते मास्‍क पर भूलकर भी भरोसा न करें। थ्री लेयर मास्‍क बाजार में १० – १२ रूपए तथा N-95 मास्‍क १०० से १५० रूपए में उपलब्‍ध है। ये मंहगें जरूर हैं। पर पैसा जान से बढ़कर नहीं होता। इसलिए इन्‍हें इस्‍तेमाल करने में संकोच न करें।


(सभी चित्र गूगल सर्च से साभार)  

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